कनाडाई लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी को कनाडा का अगला प्रधानमंत्री घोषित किया गया है। वे जस्टिन ट्रूडो की जगह 24वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। मार्क कार्नी ने कुल 131,674 वोटों के साथ लिबरल पार्टी के नेतृत्व की दौड़ जीती, जो कि लगभग 85.9 प्रतिशत मतपत्र है। उनके प्रतिद्वंद्वियों में, क्रिस्टिया फ्रीलैंड को 11,134 वोट मिले, करीना गोल्ड को 4,785 वोट मिले और फ्रैंक बेलिस को कुल 4,038 वोट मिले। लिबरल पार्टी सम्मेलन को संबोधित करने से पहले, श्री कार्नी को उनकी बेटी क्लियो कार्नी ने मंच पर आमंत्रित किया। उन्होंने अपने पिता को “पूरी तरह से प्रतिबद्ध व्यक्ति” बताया, और आगे कहा कि वे “जो मायने रखता है उसके प्रति पूरी तरह से समर्पित, केंद्रित और सिद्धांतवादी हैं”।
अपने आरंभिक वक्तव्य में मार्क कार्नी ने कनाडा को “मजबूत” बताया। उन्होंने यह भी कहा, “आपने (चेतियन) मुझे वर्षों तक प्रेरित किया है और अब मुझे वित्तीय जिम्मेदारी, सामाजिक न्याय और अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की अपनी परंपरा को जारी रखने का अवसर मिला है।” जीन चेतियन कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री थे, उन्होंने अपने परिवार को उदारवादी बनने के लिए प्रेरित किया, उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता ने 1980 के दशक में अल्बर्टा में एक उदारवादी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
कार्नी का व्यक्तिगत जीवन-
उनका विवाह ब्रिटिश अर्थशास्त्री डायना फॉक्स से हुआ है, जो देशों का विकास करने में विशेषज्ञता रखती हैं। वह पर्यावरण और सामाजिक न्याय से संबंधित विभिन्न मुद्दों से जुड़ी रही हैं। कार्नी और डायना की मुलाकात इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में हुई थी और 1994 में उनकी शादी हुई थी। उनकी चार बेटियाँ हैं जिनका नाम सोफिया, अमेलिया, टेस और क्लियो है। उनकी कोई भी बेटी उनके राजनीतिक अभियान में शामिल नहीं थी। हालाँकि, उनकी एक बेटी क्लियो कार्नी ने लिबरल पार्टी के नेतृत्व का चुनाव जीतने के बाद उनका परिचय कराया।
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कार्नी का पेशा-
कार्नी सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर रह हैं। वे पहले कनाडाई प्रधानमंत्री होंगे, जिनके पास किसी भी तरह का पिछला विधायी या कैबिनेट अनुभव नहीं है। कार्नी का जन्म नॉर्थवेस्ट टेरिटरीज के फोर्ट स्मिथ में हुआ था। गोल्डमैन सैक्स में 13 साल बिताने से पहले वे हार्वर्ड में थे, 2003 में डिप्टी गवर्नर के रूप में बैंक ऑफ कनाडा में शामिल हुए। वे 2004 में वित्त मंत्रालय में पद के लिए चले गए, और 2008 में गवर्नर के रूप में वापस लौटे। उन्होंने 2008-09 के वित्तीय संकट के दौरान सेंट्रल बैंक का नेतृत्व भी किया।
2013 में, कार्नी, बैंक ऑफ इंग्लैंड के तीन शताब्दी के इतिहास में पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने। वे दो G7 सेंट्रल बैंकों का नेतृत्व करने वाले पहले व्यक्ति भी हैं। उनके कार्यकाल में ब्रेक्सिट की राजनीतिक अनिश्चितता भी शामिल थी। 2020 में बैंक ऑफ इंग्लैंड छोड़ने के बाद, उन्होंने वित्त और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के दूत के रूप में भी काम किया।
कार्नी का राजनीतिक जीवन-
59 वर्षीय श्री कार्नी मूलतः राजनीति से बाहर के व्यक्ति हैं, उन्होंने कभी भी कोई पूर्णत: राजनीतिक पद नहीं संभाला है। यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य रहा है, जो सामान्य परिस्थितियों में नेतृत्व की दौड़ में उनके विरुद्ध जाता। वे अकेले व्यक्ति थे जिन्होंने ट्रम्प की कनाडा विरोधी धमकियों और नीतियों के खिलाफ़ खुलकर बोलने का साहस किया। पिछले महीने अपने नेतृत्व संबंधी बहस में कार्नी ने कहा, “मैं जानता हूँ कि संकटों का प्रबंधन कैसे किया जाता है…. ऐसी स्थिति में, आपको संकट प्रबंधन के मामले में अनुभव की आवश्यकता होती है, आपको बातचीत करने के कौशल की आवश्यकता होती है।” उनके तर्कों के अनुसार, कनाडा, ट्रम्प की टैरिफ धमकियों के खिलाफ़ लड़ेगा।