उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी अमानवीय परंपरा को फिर से कायम रखते हुए यह साबित कर दिया है कि उसे अब भी मित्र पुलिस नहीं कहा जा सकता। लखनऊ पुलिसकर्मियों ने कुछ वकीलों को हिरासत में रखते हुए उन पर पेशाब किया, उन्हें बेरहमी से पीटा और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। इसके अतिरिक्त पुलिस ने वकीलों ओ गंदी-गंदी गालियां दी, पैसे, पर्स और सोने के गहने भी छीन लिए। यह कथित घटना अत्यंत भयावह है, कि जब वकीलों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, तो आम आदमी के साथ पुलिस क्या करती होगी, इस पर भी विचार करने की अत्यंत आवश्यकता है।
संक्षिप्त तथ्य-
प्रथम सूचना रिपोर्ट के अनुसार, शिकायतकर्ता अधिवक्ता सौरभ वर्मा को सूचना मिली कि लखनऊ के विभूति खंड थाने में कुछ अधिवक्ताओं को हिरासत में लिया गया है। मिली सूचना पर विश्वास करते हुए जब शिकायतकर्ता अधिवक्ता थाने पहुंचे तो उन्होने देखा कि पुलिस अधिकारी अधिवक्ताओं को बुरी तरह से पीट रहे थे। इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के नाम पंकज कुमार सिंह, जौदी (अस्पष्ट), इरफान, योगेंद्र सिंह सेंगर, शुभम त्यागी, अनुज कुमार, सुहैल खान हैं। उपरोक्त पुलिसकर्मियों के अलावा, कुछ तीन-चार कांस्टेबल और कुछ सिविल ड्रेस में भी थे। वे अधिवक्ताओं को अपशब्द कह रहे थे और जान से मारने की धमकी भी दे रहे थे। अधिवक्ताओं से सामान भी छीन लिया गया, जिसमें पैसे, पर्स और सोने के गहने शामिल थे। पुलिसकर्मियों ने अधिवक्ताओ पर पेशाब भी किया। पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के लिए प्रति व्यक्ति ₹50,000/- की मांग की, अन्यथा उन्हें झूठे मामले में जेल भेज दिया जाएगा। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी डिलीट कर दी। जब बड़ी संख्या में अधिवक्ता पुलिस स्टेशन पहुंचे तो उन्हें छोड़ दिया गया।
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प्रथम सूचना रिपोर्ट-
उपरोक्त तथ्यों के आधार पर 14 मार्च को विभूति खंड थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। प्राथमिक सूचना रिपोर्ट में पुलिस इंस्पेक्टर समेत नौ पुलिसकर्मियों को आरोपी बताया गया है। इनके अतिरिक्त अज्ञात पुलिस कर्मियों के विरुद्ध भी प्राथमिक सूचना रिपोर्ट दर्ज की गयी है। भारतीय नागरिक संहिता, 2023 की धारा 115(2), 352, 309(4), 351(3), 191(2) के अंतर्गत प्राथमिक सूचना रिपोर्ट, विभूति खंड थाने में दर्ज की गई है।
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