
कैरिबियन और प्रशांत महासागर में कथित मादक पदार्थों की तस्करी करने वाली नौकाओं पर अमेरिका द्वारा हाल ही में किए गए हवाई हमलों की संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने तीखी आलोचना की है। शुक्रवार, 31 अक्टूबर को उन्होंने कहा कि ये हमले अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन हैं और इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए। सितंबर की शुरुआत से जारी हमलों में 60 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने एक बयान में कहा ऐसे कृत्यों का अंतर्राष्ट्रीय कानून में कोई औचित्य नहीं है।
अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक लैटिन अमेरिका में कुल तेरह हवाई हमलों की घोषणा की है, जो सार्वजनिक रूप से ज्ञात हैं। इनमें से कैरिबियन में और पाँच प्रशांत क्षेत्र में हुए हैं। ट्रम्प प्रशासन ने बिना कोई सबूत पेश किए, यह दावा करके इन अमानवीय कार्रवाइयों को सही ठहराने की कोशिश की कि इनके निशाने पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले “नार्को-आतंकवादी” (Narco terrorist) थे। केवल यह कहना कि ये ऑपरेशन मादक पदार्थों की तस्करी और आतंकवाद से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों का हिस्सा हैं, तथा यह दावा करना कि ये अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के दायरे में आते हैं, इन अमानवीय कार्यवाहियों को उचित नहीं ठहराता।
एमनेस्टी इंटरनेशनल यूएसए के अमेरिका के लिए एडवोकेसी डायरेक्टर डैनियल नोरोना ने कहा कि युद्ध के कानून यहां लागू नहीं होते। कैरिबियन और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र युद्ध क्षेत्र नहीं हैं जहां अमेरिकी सेना उन नौकाओं पर बमबारी कर सकती है जिनके बारे में व्हाइट हाउस का दावा है कि वे दुश्मनों को ले जा रही हैं और साथ ही कथित कानून प्रवर्तन आधारों पर सेना तैनात करना सत्तावादी चाल की एक पुरानी और विफल चाल है, जिसके कारण लैटिन अमेरिका में बार-बार गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन हुए हैं। ये हवाई हमले अन्य नेताओं को मौन स्वीकृति का एक डरावना संदेश भी देते हैं जो लोगों को न्यायेत्तर तरीके से फांसी पर चढ़ाना चाहते हैं।” एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कांग्रेस से भी हस्तक्षेप करने और अमेरिकी अधिकारियों की इस मनमानी कार्रवाई को रोकने का आग्रह किया।
उच्चायुक्त तुर्क ने यह भी कहा कि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई गई अत्यंत अल्प जानकारी के आधार पर, लक्षित नौकाओं पर सवार किसी भी व्यक्ति ने दूसरों के जीवन के लिए तात्कालिक खतरा पैदा नहीं किया था या अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनके विरुद्ध घातक सशस्त्र बल के प्रयोग को उचित नहीं ठहराया था। उच्चायुक्त ने अमेरिका द्वारा कथित हमलों की शीघ्र, स्वतंत्र और पारदर्शी जाँच का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को जाँच करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो गंभीर अपराधों के आरोपी व्यक्तियों पर मौलिक कानून-व्यवस्था, उचित प्रक्रिया और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों के अनुसार मुकदमा चलाना और उन्हें दंडित करना चाहिए, जिनके लिए अमेरिका लंबे समय से प्रतिबद्ध है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के सहायक महासचिव मिरोस्लाव जेंका ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के सभी प्रयास संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार किए जाने चाहिए और अवैध तस्करी रोकने में बल प्रयोग मानवाधिकार मानकों का सम्मान करना चाहिए।
यहाँ यह समझना भी ज़रूरी है कि अमेरिका ने हमेशा अपने हितों की ही परवाह की है। चाहे वह इराक हो, अफ़ग़ानिस्तान हो, सीरिया हो, यमन हो, लेबनान हो, ग्वाटेमाला हो, क्यूबा हो, कांगो हो, सोमालिया हो, सूडान हो या हाल ही में बांग्लादेश और नेपाल हो। अगर उसे किसी दूसरे देश के प्राकृतिक संसाधनों की ज़रूरत है या किसी अनुकूल सरकार की ज़रूरत है, तो उसके पास हर जगह अपने पत्ते खुले हैं।


